राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया भाई-चारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं एक भावना है जो किसी पका भाव प्रदर्शित करती है।
राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को सशक्त एवं संवित बनाती है। राष्ट्रीय एकता ही यह है विभिन्न धर्मो, संप्रदायों, जाति, वेशभूषा, सभ्यता एवं संस्कृति के लोगों को एक सूत्र में पिरो रखती है। अपेक विभिन्नताओं के उपरांत सभी परस्पर मेल-जोल से रहते हैं।
*कच्या के सहमति के बिना उसका विवाह अभिजात्यचकेवर से करना कहलाता है।
3. लैंगिक विषमता सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रमुख आधार है। लिंग-भेद पर आधारित सामाजिक स्तरीकरण के कारण नारीवाद से संबंधित कई दुष्टिकोण प्रस्तुत किए गए है जैसे अमूल चरिवार्तनवादी, नारीवाद, समाजवादी, नारीवाद तथा उदारवादी नारीवाद। कुछ अन्य सिद्धान्तों के आधार पर भी लिंग-भेद का विश्लेषण किया जाता है। भारत में पितृसत्तात्मक पारिवारिक व्यवस्था उसका मुख्य कारण रहा है। लैगिक विषमता के अन्तर्गत पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को कम महत्व दिया जाता है। वर्तमान में कन्या धूण हत्या उसका मुख्य परिणाम है।
4 जब दो नातेदारों के बीच समाज या संस्कृति पारस्परिक अन्तक्रिया का निषेध करती है. उसे
परिहार कहते हैं। परिहार संबंधियों के बीच आमने-सामने के संबंध या प्रत्यक्ष सम्बन्ध को हतोत्साहित
किया जाता है। जैसे उत्तर भारत में ससुर तथा पुत्रवधू या जेठ तथा बधू के बीच परिहार संबंध पाया जाता है।
5. परिभाषित समूह के अंदर विवाह करना अन्तर्विवाह है. जैसे अपनी जाति के पुरुष या स्त्री से विवाह करना ।
6. अनुलोम विवाह-यह हिन्दू विवाह का एक रूप है। प्राचीन भारतीय समाज में वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत अनुलोम विवाह को सामाजिक मान्यता थी। इसे कुलीन विवाह भी कहा जाता है। धार्मिक पुस्तकों में यह उल्लेख मिलता है कि “पिता को अपनी कन्या का विवाह अपने से उच् कुल में करना चाहिए”। कन्या का विवाह उच्च वर्ण में और लड़के का विवाह अपने से नीचे वर्ण की लड़की से होता है तो उसे अनुलोम विवाह कहा जाता है।” जैसे ब्राह्मण लड़का, क्षत्रिय या वैश्य या शूद्र लड़की से विवाह करता है तो यह अनुलोम विवाह है।
7. यदि पत्नी तलाक देना चाहती हो और पति तलाक नहीं चाहता हो तो इस स्थिति में पति-पत्नी को समझाने की कोशिश करता है और यदि वह सहमत नहीं होती तो पति उसे तलाक दे देता है। लेकिन अगर पत्नी के तलाक मांगने के बावजूद उसका पति उसे तलाक नहीं देता तो बीबी के लिए इस्लाम में यह बात रखी गई है कि वह काजी के पास जाए और उससे शौहर से तालाक दिलवाने के लिए कहे। इस्लाम ने काजी को यह हक दे रखा है कि वह उसका रिश्ता खत्म करने का एलान
कर दें, जिससे उनकी तलाक हो जाएगी। कानून में इसे खुला कहा जाता है। 8. एच. आई. वी. एक वायरस है जो अक्वायर्ड इम्युनो डेफिशियंसी सिंड्रोम के कारण बनता है
जो कि मनुष्यों में एक अवस्था है जिसमें प्रतिरक्षा तंत्र विफल होने लगता है। इसके परिणामस्वरूप ऐसे अवसरवादी संक्रमण हो जाते हैं जिससे मृत्यु का खतरा हो जाता है। एच. आई. वो का संक्रमण रक्त के अंतरण, वीर्य, योनि द्रव स्खलन द्रव या माँ के दूध से होता है।
9. नगरीकरण (Urbanisation) नगरीकरण यह प्रक्रिया है जिसम लोग गाँवों में रहने के बजाय कस्बों व शहरों में रहना शुरू कर देते हैं। वे ऐसे तरीकों का प्रयोग करते हैं कि कृषि आधारित निवास क्षेत्र गैर-कृषि शहरी निवास क्षेत्र में परिवर्तित हो जाता है। शहरी कोद्रों का विकास बढ़ी हुई औद्योगिक व व्यावसायिक गतिविधियों का परिणाम है। कस्बों और नगरों की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है और चं गैर-कृषि परिवारों की संख्या में वृद्धि के कारण है।
10. सांप्रदायिकता-स्पष्ट शब्दों में इसका अर्थ है-धार्मिक पहचान पर आधारित उग्र राष्ट्रवाद
यह विश्वास करता कि धर्म ही व्यक्ति या समूह की पहचान के सभी अन्य पक्षों की तुलना में सर्वोपरि होता है। आमाहौर पर, यह उन व्यक्तियों या समूहों के प्रति एक आक्रामक और शत्रुतापूर्ण रवैया होता है जो दूसरों के धर्मों का आदर करते व उन्हें मानते हैं अथवा जिनकी गैर-धार्मिक पहचान अन्य सभी की तुलना में सर्वोपरि होती है। प्रत्येक व्यक्ति की पहचान उसके धर्म, उसकी जाति के आधार पर ही होती है। है। भारत में सम्प्रदायवाद एक विशेष मुद्दा बन गया है। इन सांप्रदायिक दंगों के दौरान लोग अपने-अपने समुदायों के पहचानहीन सदस्य बन जाते हैं। वे अपने अभिमान की पूर्ति व रक्षा के लिए दूसरे समुदाय के सदस्यों को मार डालने व बलात्कार करने, लूटपाट करने को तैयार हो जाते हैं। कोई भी ऐसा क्षेत्र, राज्य नहीं है जो सांप्रदायिकता से अछूता रहा हो। प्रत्येक धार्मिक सामुदाय चाहे वह छोटा हो या बड़ा, न्यून या अधिक मात्रा में हिंसा की मार अवश्य सही है। अगर सांप्रदायिक दंगों के लिए सरकार को किसी हद तक जिम्मेदार ठहराया जाए तो किसी भी सरकार या सत्ताधारी दल इस मामले में निर्दोष होने का दावा नहीं कर सकता। वास्तव में. सांप्रदायिक हिंसा के दो आघातकारी समकालीन उदाहरण दो प्रमुख राजनीतिक दलों के शासनकाल में घटित हुए। 11. फसिद विवाह वैध विवाह नहीं है लेकिन सभी बंधनों को तोड़कर शादी कर लेने पर वैध हो जाता है। इनके बच्चे को पैतृक अधिकार नहीं मिलता।
12. लड़कियों की दो समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
(1) आज समाज में लड़कियों को पराया धन समझा जाता है। लड़कियों को अपनी संतान के नजरिए से न देखकर लड़का और लड़की में अंतर किया जाता है।
(2) बेटियों के विवाह के दौरान माँ-बाप को काफी दहेज देना पड़ता है। यदि गरीब माँ-बाप हो तो वे दहेज देने में सक्षम नहीं हो पाते जिससे बेटियों को बोझ समझा जाता है।
13. धर्म का अर्थ होता है धारण अर्थात जिसे धारण किया जा सके, धर्म कर्म प्रधान है। गुणों को जो प्रदर्शित करे वह धर्म है। धर्म को गुण भी कह सकते हैं। धर्म सार्वभौमिक होता है। यानि प्रत्येक काल और युग में समान रहता है। हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध धर्म नहीं है बल्कि सम्प्रदाय है।
14. सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया का संबंध सामाजिक संबंधों तथा समाज की व्यवस्था में होने वाले परिवर्तन से है। गिलिन तथा गिलिन के अनुसार, “सामाजिक परिवर्तन जीवन के स्वीकृत प्रकारों में परिवर्तन है। भले ही ये परिवर्तन भौगोलिक दशाओं में हुए हों या सांस्कृतिक साधनों पर जनसख्या की रचना या सिद्धान्तों के परिवर्तन से हुए हों, या प्रचार से या जन समूह के अंदर आविष्कार से हुए हों।”
जॉनसन के अनुसार, “सामाजिक परिवर्तन से तात्पर्य सामाजिक ढाँचे में परिवर्तन से है।” प्रत्येक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन नहीं कहलाता वरन केवल सामाजिक संबंधों, सामाजिक संस्थाओं तथा संस्थाओं के परस्पर संबंधों में होने वाले परिवर्तन ही सामाजिक परिवर्तन की श्रेणी में आते हैं। 15. तस्करी अवैध रूप से सामान या व्यक्तियों के एक देश से दूसरे देश के परिवहन को कहते हैं। तस्करी करने वाले व्यक्ति को तस्कर कहते हैं।
तस्करी की अभिप्रेरणा के विभिन्न कारण हैं जिनमें आर्थिक लाभ प्रधान कारण है। इसके अंतर्गत नशीले पदार्थों का लाना-ले जाना, व्यक्तियों का अवैध प्रवास करवाना, कर की चोरी, कारागार के अंदर कैदी को प्रतिबन्धित वस्तुएँ पहुँचाना या तस्करी की जाने वाली वस्तु आदि विषय आले हैं। हवाई अड्डे पर विदेश से खरीदी वस्तु का सीमा शुल्क जमा न करना भी तस्करी की परिधि में आता है।
16. यदि कोई व्यक्ति पूरे सप्ताह काम नहीं करता और एक निश्चित धनराशि से कम आय करती है. तो ऐसी स्थिति को अर्द्ध बेरोजगारी कहा जाता है ।
17. मादक द्रव्य वैसे पदार्थ को कहते हैं जिनके सेवन से नशे का अनुभव होता है तथा लगातार सेवन करने से व्यक्ति उसका आदी बन जाता है।