1. अर्थशाख में सिरप की क्या परिभाषा है?
उत्तर- पूंजी या पूंजीगत वस्तुएँ (पूंजीगत या पूँजीगत वस्तुएँ):- ऐसी अंतिम वस्तुएँ होती हैं जो उत्पादन प्रक्रिया में सहायक होती हैं और आय का सृजन करती हैं। कंपनी के पूंजीपति उत्पादक (निर्माता) की पूंजी में वृद्धि कंपनी की मशीन आदि की तरह होती है।
2. सेवा क्षेत्र परिभाषित करें।
उत्तर- सेवा क्षेत्र (सेवा क्षेत्र) :- सेवा क्षेत्र के क्षेत्रों में प्रमुख हैं उदाहरण- शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य, वकील आदि शामिल हैं। सेवा एक ऐसा कार्य या उपयोग है जिसके लिए एक उपभोक्ता, फर्म या सरकार भुगतान करने के लिए तैयार रहती है। उदाहरण के तौर पर नायट, वकील, वकील, मैकेनिक, बैंक, बीमा संस्थाएं आदि कार्य सेवा में शामिल हैं। सार्वजनिक सेवाएँ वे स्थान हैं जिनके लिए पूरा समाज भुगतान करता है।
Class 12TH Sociology Guess Paper 2025 | 12th Sociology VVI Objective & Subjective Question BSEB
3. आर्थिक समस्या उत्पन्न होती हैं?
उत्तर- आर्थिक समस्या (आर्थिक समस्याएँ), असीमित परिभाषाएँ, सीमित साधन और उनके वैकल्पिक प्रयोग के कारण उभरते चयन की समस्या ही आर्थिक समस्या है। इंस्ट्रक्शन में इंट्रेस्ट से लेकर इंट्रेस्ट तक का कारण स्टूडेंट का वैकल्पिक प्रयोग होने का कारण और चयन या चुनाव होने की समस्या भी आर्थिक समस्या या केंद्रीय समस्या को जन्म देती है। असीमित आवश्यकताएँ और सीमित साधन दो संरचना स्तंभ सभी प्रकार की आर्थिक समस्या का कारण बनते हैं
उत्पन्न होती है.
4. किसी वस्तु का ‘स्टॉक’ और ‘स्टॉक’ में क्या अंतर है?
उत्तर- स्टॉक (स्टॉक):- वस्तु की वह मात्रा है जो किसी भी समय बाजार में स्टॉक के पास उपलब्ध होती है उसे स्टॉक कहा जाता है। जैसे धन, हौज का पानी, गोदाम का अनाज आदि स्टॉक के उदाहरण हैं।
प्रोडक्ट का ज़ानकारी यदि बाजार में वस्तु की कीमत कम हो तो विक्रेता वस्तु का अधिक स्टॉक रखता है, वस्तु की कम मात्रा की आपूर्ति (आपूर्ति) बाजार में बेचने के लिए करता है।
5. एकदिष्ट अधिमान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- एकदिष्ट अधिमान का अर्थ यह है एक उपभोक्ता किन्ही दो बंडलो में से उस बंडल को अधिक प्राथमिकता देता है जिसे इन वस्तुओं में से कम से कम एक वस्तु की अधिक मात्रा हो और दूसरे बंडल की तुलना में दूसरी वस्तु की भी कम मात्रा ना हो। अर्थात उस बंडल का चयन करता है जिस बंडल में ज्यादा वस्तुएं उपस्थित रहती है।
6. “माँग वक्र माँग के नियम का निरूपण है।” स्पष्ट करें।
उत्तर- माँग वक्र (Demand curve):- जब रेखा चित्र के माध्यम से मांग के नियम को अर्थात मांग और कीमत के बीच के सम्बन्ध को दर्शाया जाता है, तो उसे माँग वक्र कहते हैं। यह माँग वक्र कीमत एवं माँगी गयी मात्रा के बीच एक विपरीत संबंध बताता है। इस विपरीत संबंध के कारण माँग वक्र बायें से दायें नीचे गिरता है, जो माँग के नियम का निरूपण करती है।
7. राष्ट्रीय आय गणना में निवल निवेश को परिभाषित करें।
उत्तर- निवल निवेश/शुद्ध निवेश (Net investment);– निवल निवेश से अभिप्राय उस खर्च से है जिसके द्वारा पूंजीगत पदार्थ जैसे मशीन, औजार, निर्माण हेतु कच्चा माल आदि के भण्डारों में बढ़ोतरी की जाती है।
8. सामान्य वस्तु एवं गिफिन वस्तु के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- सामान्य वस्तु तथा गिफिन वस्तु में निम्न अंतर इस प्रकार है सामान्य वस्तु (Common item):- सामान्य वस्तु वह वस्तु है जिस पर माँग का नियम लागू होता है। इसका माँग वक्र का ढलान ऊपर से नीचे बायें से दायें की ओर होता है। इसपर आय का धनात्मक प्रभाव पड़ता है। जैसे जूता, कलम, आलू इत्यादि।
गिफिन वस्तु (Giffin object):- कम गुणवत्ता वाले वस्तु जिसपर माँग नियम लागू नहीं होता है, उसे गिफिन वस्तु या निम्न स्तरीय वस्तु कहते है। इसकी माँग की ढलान नीचे से ऊपर की ओर होता है। इसपर आय का प्रभाव ऋणात्मक होता है। जैसे, मोटा अनाज
9. मुद्रास्फीति क्या है
उत्तर- मुद्रास्फीति (Inflation): मुद्रास्फीति या महंगाई किसी अर्थव्यवस्था में समय के साथ विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों में होने वाली एक सामान्य बढ़ोतरी को कहते हैं। जब सामान्य मूल्य बढ़ती है तब मुद्रा की हर इकाई की क्रय शक्ति (Purchasing Power) घटने लगती है। अर्थशाखी मानते हैं कि आवश्यकता से अधिक मुद्रा छापने से मुद्रास्फीति उत्पन्न होती है मुद्रास्फीति से विपरीत अपस्फीति (Deflation) होता है, इसमें समय के साथ-साथ वस्तु और सेवाओं की कीमतें गिरने लगती है।
10. अवस्फीति को परिभाषित करें।
उत्तर- अबस्फीति (Deflation):- वस्तुओं और सामान्य मूल्य के स्तर में गिरावट को कहते हैं। अवस्फीति तभी होती है, जब वार्षिक मुद्रास्फीति की दर शून्य प्रतिशत की दर से भी नीचे गिर जाती है, जिसके फलस्वरूप असली मुद्रा के मूल्य में वृद्धि हो जाती है। इससे एक क्रेता उसी राशि से अधिक माल खरीदने की सुविधा प्राप्त हो जाती है।
11. मौद्रिक मजदूरी एवं वास्वविक मजदूरी में भेद वताइये।
उत्तर- मौद्रिक मजदूरी (Monetary wages):- श्रमिक को मुद्रा के रूप में प्राप्त मजदूरी मौद्रिक मजदूरी कहलाती है।वास्तविक मजदूरी (Real wage):- यदि श्रमिक अपनी आय से वस्तु एवं सेवाओं की खरीद करता है, तो वह क्षमता वास्तविक मजदूरी कहलाती है।
12. 1929 की महामंदी का वर्णन करें।
उत्तर- 1929 की महामंदी (1929 की महामंदी): 1929 में आर्थिक महामंदी आई जो 1933 तक बनी रही। इस महामंदी ने विश्व के विकसित देशों की इंडस्ट्री को चकमा-चूर कर दिया! इस महामंडी में उत्पादन करने वाले निर्माता तो थे लेकिन उत्पाद बेचने वाले को उपभोक्ता (क्रेडिट) नहीं दिया गया। 1929 से 1933 की अवधि में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों के कुल उत्पादन और बेरोजगारी के बीच भारी गिरावट आई।
1929 महानदी का प्रभाव
(ए) कई कारखाने बंद हो गए और उद्यमियों का रोजगार समाप्त हो गया।
(आईबी) 1929 से 1933 की अवधि में बेरोजगारी की दर 3% से बेरोजगारी 25% तक हो गई।
(सी) 1929 से 1933 के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका में समग्र निर्गत में 33% की गिरावट आई। जेएम कैन्स की प्रसिद्ध पुस्तक द जनरल थ्योरी ऑफ एम्प्लॉयमेंट इंटरेस्ट एंड मनी (रोज़गार, व्यापार और मुद्रा का सामान्य सिद्धांत) में 1936 में पूंजीवादी और समष्टि अर्थशास्त्र जैसे विषय का समावेश हुआ।
13. इसका प्रभाव क्या है?
उत्तर-आय प्रभाव (आय प्रभाव):- वस्तु की कीमत में कमी होने पर उपभोक्ता की वास्तविक आय में वृद्धि होती है जिसके कारण उपभोक्ता को अपने पूर्व उपभोक्ता आय स्तर को बनाए रखने के लिए पहले की तुलना में कम व्यय करना होता है। हम कह सकते हैं कि वस्तु की कीमत में कमी होने के कारण उपयोगकर्ता पहले अनुभव लेने वाले कुल खर्च में ही अब वस्तु की अधिक मात्रा खरीद सकते हैं। इस प्रकार वस्तु की कीमत में कमी होने पर वस्तु का अधिक विक्रीडीकरण संभव हो जाता है। वस्तु की कीमत वृद्धि का कारण उपभोक्ता की वास्तविक आय में कमी
14. मांग की लोच से आपके क्या मतलब हैं?
उत्तर- मांग की लोच [मांग की लोच]: किसी वस्तु की मांग में उस वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से प्राप्त भागफल पर उस वस्तु की मांग की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन होता है। मांग की लोच एक शुद्ध संख्या है। एक वस्तु के लिए माँग की कीमत लोच सूत्र सीडी – वस्तु के लिए माँग में % परिवर्तन वस्तु की कीमत में % परिवर्तन