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Physics class 12th subjective question 2025 || class 12th Physics most important question 2025

 

 

Q.1. प्रकाश-विद्युत प्रभाव क्या है? प्रकाश-विद्युत प्रभाव के नियम क्या है?

Ans. यदि धातु के सतह पर उचित तरंगदैर्ध्य का प्रकाश आपत्ति होता है तो धातु के सतह से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है। इस घटना को प्रकाश-विद्युत प्रभाव कहा जाता है। उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन को प्रकाश इलेक्ट्रॉन कहा जाता है।

प्रकाश विद्युत प्रभाव के नियम :

प्रथम 1st : प्रकाश इलेक्ट्रॉन का महत्तम वेग (इसलिए महत्तम गतिज ऊर्जा) आपतित प्रकाश की आवृत्ति के साथ बढ़ती है।

द्वितीय 2nd : प्रति से० उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रकाश के तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है।

Q.2. प्रकाश की द्वैती प्रकृति (Dual Nature of Light) का वर्णन करें।

Ans. प्रकाश की समस्त घटनाओं की व्याख्या केवल प्रकाश के तरंग-सिद्धान्त अथवा केवल फोटॉन सिद्धान्त से नहीं की जा सकती। प्रकाश के कुछ प्रभाव, जैसे-व्यतिकरण (Interference), विवर्तन (Diffraction), ध्रुवण (Polarisation) आदि की व्याख्या प्रकाश के तरंग- सिद्धान्त के आधार पर ही सम्भव है, जबकि प्रकाश के कुछ अन्य प्रभावों, जैसे-प्रकाश-विद्युत प्रभाव, कॉम्पटन प्रभाव (Compton Effect) आदि की व्याख्या प्रकाश की कण-प्रकृति (प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त) के आधार पर ही सम्भव है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रकाश की ‘द्वैती प्रकृति’ (Daul nature) होती है अर्थात् प्रकाश में कणिक (फोटोन) तथा तरंग दोनों ही गुण विद्यमान हैं। व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण आदि कुछ घटनाओं में प्रकाश तरंग की भाँति व्यवहार करता है, तथा प्रकाश-विद्युत प्रभाव, कॉम्पटन प्रभाव आदि कुछ घटनाओं में प्रकाश कणों की भाँति व्यवहार करता है।

Q.3. नाभिकीय ऊर्जा से आप क्या समझते हैं? इसका उपयोग किस प्रकार किया जाता है? (What is meant by nuclear energy? How is it used?)

Ans. जब भारी नाभिक का विखण्डन होता है अथवा हल्के नाभिकों का संलयन होता है, तो नाभिक के द्रव्यमान का कुछ अंश कम हो जाता है। द्रव्यमान की यह क्षति ऊर्जा के रूप में प्राप्त होती है। इसे नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं। नाभिकीय विखण्डन की क्रिया को नियंत्रित करके (नाभिकीय रिएक्टर मेमें) प्राप्त ऊर्जा का

उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है।

Q.4. कुलिज ट्यूब के मुख्य घटक क्या है?

(What are major elements of Coolidge tube?)

Ans. कुलिज नली में कैथोड किरण या इलेक्ट्रॉनों का उत्पादन तापायनिक प्रभाव (Thermonic

effect) से किया जाता है। कूलिज ट्यूब में दो नलियों लगी रहती है, एक नली में टंगस्टन का तंतु F होता है जिसमें एक बैटरी B के द्वारा धारा प्रवाहित की जाती है। तन्तु के गर्म होने पर उसमें से तापायनिक प्रभाव के कारण इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं। तन्तु के चारों ओर मोलिब्डेनम का एक बेलन C होता है, जिसे तन्तु के सापेक्ष ऋण विभव पर रखा जाता है। तन्तु F के ठीक सामने ताँबे का एक ब्लॉक होता है जिसका तल इलेक्ट्रॉन-पुंज के मार्ग से 45° पर झुका होता है। इसमें तल पर टंगस्टन अथवा मोलिब्डेनम जैसी उच्च द्रवणांक तथा अधिक परमाणु भार वाली धातु का टुकड़ा लगा रहता है। ताँबे का ब्लॉक एक ताँबे की खोखली नली के सिरे पर स्थित होता है जिसमें ठण्डा जल प्रवाहित किया जाता है। पूरी नलिका सीसे के एक खोल से घिरी होती है। नली तन्तु धारा को घटा-बढ़ाकर X-ray की तीवता घटायी बढ़ायी जा सकती है।

Q.5. ट्रांसफार्मर क्या है? किन कारणों से ट्रांसफार्मर की दक्षता घटती है? Ans. ट्रान्सफॉर्मर एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता से उच्च धारा की निम्न प्रत्यावर्ती बोल्टता को निम्न धारा की उच्च प्रत्यावर्ती वोल्टता में तथा निम्न धारा की उच्च प्रत्यावर्ती वोल्टता को उच्च धारा की निम्न प्रत्यावर्ती वोल्टता में परिवर्तित किया जा सकता है। अर्थात् ट्रान्सफॉर्मर प्रत्यावर्ती वोल्टता को बढ़ाने या घटाने में प्रयुक्त की जाने वाली युक्ति है। ट्रांसफार्मर की दक्षता निम्नलिखित कारणों से घटती है-

(i) तामिक हानि (Copper loss or binding loss), (ii) फ्लक्स हानि (Flux loss),(iii) लौह हानि, (iv) भँवर धारा हानि (Eddy current loss), (v) शैथिल्य हानि (Hysteresis loss), (vi) क्रोड के कम्पन के कारण हानि

Q.6. तापायनिक उत्सर्जन की प्रक्रिया सिर्फ धातु सतह पर क्यों घटती है?

Ans. तापायनिक, उत्सर्जन एक प्रक्रिया है जिसमें धातुओं को गर्म करने पर इलेक्ट्रॉन निकलता है। धातु में मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं जो धातु के अन्दर यत्र-तत्र दिशा में गतिमान होते हैं। साधारण ताप पर ये धातु से बाहर नहीं आ सकते, क्योंकि धातु से आकर्षण बल द्वारा बँधे होते है। यदि कोई इलेक्ट्रॉन धातु से बाहर आ जाए तो धातु धनावेशित हो जाता है तो इलेक्ट्रॉन को पुनः भीतर खीच सकता है। डायोड बल्ब तापायनिक उत्सर्जन के सिद्धान्त पर कार्य करता है।

Q.7. उब्वायी ट्रांसफॉर्मर का उपयोग वतायें।

Ans. उच्च धारा की निम्न प्रत्यावर्ती वोल्टता को निम्न धारा की उच्च प्रत्यावर्ती वोल्टता में परिवर्तित करने में जो धारा प्रयुक्त होती है उसे उच्चायी ट्रांसफार्मर कहते हैं। उच्चायी ट्रांसफार्मर का अधिकतम व्यवहार प्रत्यावर्ती धारा के विद्युत संचार में होता है।

Q.8. -टाइप तथा-टाइप अर्द्धचालक में अन्तर स्पष्ट करें।

Ans. – टाइप तथा – टाइप अर्द्धचालक में निम्नलिखित अन्तर हैं-

1. – टाइप अर्द्धचालक शुद्ध जर्मेनियम में पंच संयोजी अपद्रव्य (जैसे-फॉस्फोरस ऐण्टिमनी

Q.9. डायोड को वाल्व क्यों कहा जाता है?

Ans. डायोड एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो सकती है यानी इसमे (unidirectional) कार्य होता है। इसीलिए डायोड को वाल्व कहा जाता है। किसी भी वाल्व का कार्य (चाहे Cycle tube का वाल्व हो, हृदय का वाल्व इत्यादि) unidirectional ही होता है इसलिए Diode का उपयोग एक दिष्टकारी (Rectifier) के रूप में भी किया जाता है।

Q.10. प्रतिचुम्बकीय पदार्थ को असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्या होता है? किसी स्थायी चुम्बक एवं विद्युतचुम्बक के क्रोड के लिए पदार्थ का चयन किस तरह करते हैं?

Ans. जब प्रतिचुम्बकीय पदार्थ को असमान्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो वह पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र के कमजोर क्षेत्र की ओर जाना चाहता है। इसका प्रति चुम्बकीय प्रभाव बहुत कम हो जाता है। प्रति चुम्बकीय पदार्थ तापक्रम पर निर्भर नहीं करता है।स्थायी चुम्बक बनाने के लिये पदार्थ की धारणशीलता उच्च होनी चाहिये तथा निग्राहिता भी अधिक होनी चाहिये जिसमें चुम्बक का चुम्बकत्व चुम्बकीय क्षेत्रों अथवा यांत्रिक विक्षोभ अथवा ताप परिवर्तन के प्रभाव से कम न हो पाय। स्थायी चुम्बक में शैथिल्य हानि नहीं होती है। इन सभी दृष्टिकोण से इस्पात नर्म लोहे की अपेक्षा स्थायी चुम्बक बनाने के लिये ज्यादा उपयुक्त है। विद्युत चुम्बक की क्रोड के लिये वह पदार्थ उपयुक्त होगा जिसमें साधारण चुम्बकन क्षेत्रों द्वारा अधिक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो तथा शैथिल्य हानि कम-से-कम हो। नर्म लोहा बिद्युत चुम्बक के झोड के लिये आवश्यक है।

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