1. किसी अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है ?
उत्तर – किसी अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला दिखता है इसका कारण यह है कि चन्द्रमा पर वायुमंडल नहीं है। इसलिए चन्द्रमा पर खड़े अंतरिक्ष यात्री को आकाश काला दिखता है। क्योंकि वहाँ वायुमंडल नही होने के कारण प्रकाश का प्रकीर्णन नही हो पाता है।
2. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभांतर बनाए रखने में सहायता करती है।
उत्तर – सेल या बैटरी एक ऐसी युक्ति है जो अपने अंदर हो रहे रसायनिक अभी क्रियाओं के द्वारा सेल के दोनों इलेक्ट्रोड के बीच विभांतर बनाए रखती है
3. जल के मृदु करने के लिए जिस सोडियम योगिक का उपयोग किया जाता है उसका नाम लिखें ।
उत्तर – कठोर जल को मृदु करने के लिए सोडियम कार्बोनेट Na2 Co3 का उपयोग किया जाता है।
4. ऐनोडीकरण क्या है।
उत्तर – एलमुनियम के बने एक साथ वस्तु को एनोड बनाकर एक तनु सल्फ्यूरिक अम्ल को
विद्युत अपघट्य के रूप में उपयोग करके विद्युत धारा प्रवाहित करने से एनोड पर
ऑक्सीकरण गैस मुक्त होती है जो एलमुनियम के साथ सहयोग करके एलमुनियम ऑक्साइड
के रूप में उस वस्तु की बाहरी सतह पर एक मोटी परत बना लेती है जिसे धातु का संक्षारण
रुक जाता है।
5. का संश्लेषण क्या है इस क्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए ।
उत्तर – सभी हरे पौधे क्लोरोफिल तथा सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में बाई मंडल से co2 ग्रहण करके कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं इसी प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं
प्रश्न 6. वन संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए। नियंत्रण वहाँ वहाँ के के मूल निवासियों
उत्तर-बनों के संरक्षण हेतु वनों का के हाथ में दे देना चाहिए। इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि स्थानीय निवासी परंपरानुसार वनों के संरक्षण का प्रयास कर रहे हैं। उदहारण के लिए अमृता देवी विश्नोई की स्मृति में दिया जाने वाला राष्ट्रीय पुरस्कार जिन्होंने 1731 में राजस्थान के जोधपुर के पास खेजराली गाँव में ‘खेजरी वृक्षों’ को बचाने हेतु 363 लोगों के साथ अपने आपको बलिदान कर दिया था। संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटकों द्वारा अथवा उनकी सुविधा के लिए की गयी व्यवस्था से वनों में होने वाली क्षति के बारे में भी सोचना होगा। वनों की प्राकृतिक छवि में मनुष्य का हस्तक्षेप बहुत अधिक है। इस हस्तक्षेप की प्रकृति एवं सीमा को नियंत्रित करना होगा। वन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना होगा जो पर्यावरण एवं विकास दोनों के हित में हो। ‘चिपको आंदोलन’ बहुत तेजी से बहुत से समुदायों में फैला । 1970 के बाद एवं जन संचार ने भी इसमें योगदान दिया तथा सरकार को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वनों के विनाश से केवल वन की उपलब्धता ही नहीं प्रभावित होगी वरन् मिट्टी की गुणवत्ता एवं जल स्रोत भी प्रभावित होते हैं। स्थानीय लोगों की भागीदारी से निश्चित रूप से वनों के प्रबंधन की दक्षता बढ़ेगी।
प्रश्न 7. कार्बन के दो अपरूपों में हीरा कठोर और ग्रेफाइट मुलायम होता है, क्यों?
उत्तर-हीरे में कार्बन का प्रत्येक परामणु कार्बन के चार अन्य परमाणुओं के साथ आबंधित होता है जिससे एक दृढ़ त्रि-आयामी संरचना बनती है। ग्रेफाइट में कार्बन के प्रत्येक परमाणु का आबंध कार्बन के तीन अन्य परमाणुओं के साथ एक ही तल पर होता है जिससे षट्कोणीय व्यूह मिलता है। इनमें से एक आबंध द्वि-आबंधी होता है जिसके कारण कार्बन की संयोजकता पूर्ण होती है। ग्रेफाइट की संरचनायें षट्कोणीय तल एक-दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होते हैं। इन दो विभिन्न संरचनाओं के कारण हीरा काफी कठोर और ग्रेफाइट मुलायम होता है। हीरा विद्युत का कुचालक और ग्रेफाइट विद्युत के सुचालक होते हैं। फुलेरीन कार्बन अपरूप का एक अन्य वर्ग है।
प्रश्न 8. (a) विद्युत विभव और विभवांतर में क्या अंतर है?
उत्तर-विद्युत विभव-इकाई धन आवेश को अनंत से विद्युतीय क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में सम्पादित कार्य को उस बिंदु पर का विभव कहते हैं। इसका S.I. मात्रक वोल्ट है।
विभवांतर-दो बिंदुओं के बीच के विभवों के अंतर को विभवांतर कहते हैं। इसका भी S.I. मात्रक बोल्ट है।
(b) प्रतिरोध क्या है? इसका SI मात्रक लिखें।
उत्तर-जब परिपथ में विद्युत धारा बहती है तो चालक के अन्दर उपस्थित इलेक्ट्रोनों पर आवेश के टक्कर के फलस्वरूप ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न होती है और धारा के बहने में रूकावट डालती है। अतः प्रतिरोध एक ऐसा गुण-धर्म है जो किसी चालक में इलेक्ट्रोनों के प्रवाह का विरोध है। यह विद्युत धारा के प्रवाह को नियंत्रित करता है। इसका SI मात्रक ओम है।
प्रश्न 9. अनुरक्षण क्या है? अनुरक्षण के लिए कौन-कौन सी क्रियाएँ आवश्यक है?
उत्तर-सजीवों में जीवन के समस्त कार्यों को सुव्यस्थित ढंग से करने के लिए जीवन की कई निश्चित व्यवस्था निम्न प्रक्रियाओं का होना आवश्यक है। अनुरक्षण के लिए निम्न प्रक्रियाओं का होना आवश्यक है-पोषण, श्वसन, उत्सर्जन एवं परिवहन। ये सारी प्रक्रियाएँ जीवों की मूलभूत आवश्यकता है। ऊर्जा की प्राप्ति के लिए पोषण जरूरी है। पाचित भोज्य पदार्थ के दहन के लिए श्वसन जरूरी है एवं हानिकारक अपशिष्टों के निष्कासन के लिए उत्सर्जन जरूरी है।
प्रश्न 10. जैविक आवर्धन क्या है? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों घर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न होता है? क्यों ।
उत्तर-हमारी आहार श्रृंखला में कुछ रासायनिक पदार्थ जो कि अजैव निम्नीकृत होते हैं, मिट्टी के माध्यम से पौधों में प्रवेश कर जाते हैं और हर उस जीव में प्रवेश कर जाते हैं जो पौधों पर आश्रित है।
क्योंकि ये पदार्थ अजैव निम्नीकृत हैं, यह प्रत्येक पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर संग्रहित होते जाते हैं और यही जैविक आवर्धन कहलाता है।
जैविक आवर्धन का प्रभाव आहार श्रृंखला के ऊपरी भाग में भयावह होता है क्योंकि सबसे अधिक संग्रहित रासायनिक पदार्थ वहीं पहुँचता है क्योंकि मनुष्य आहार श्रृंखला में शीर्षस्थ है। अतः हमारे शरीर में यह रसायन सर्वाधिक मात्रा में संचित होता है।
प्रश्न 11. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकों के वयो कार्य हैं?
उत्तर-पारिस्थितिक तंत्र में पौधे उत्पादक का कार्य करते हैं। इसके द्वारा विम्नलिखित कार्य होते हैं- (i) किसी भी पारितंत्र में रहने वाले जीव की प्रकृति का निर्धारण हरे पौधों या उत्पादक के द्वारा होता है।
(ii) वायुमंडल में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड के बीच का
संतुलन हरे पौधों द्वारा ही होता है। (iii) केवल हरे पौधे ही पारितंत्र के मूल ऊर्जा स्रोत सौर ऊर्जा का प्राग्रहण कर सकते हैं
प्रश्न 12. डायनेमो क्या है इसके क्रिया सिद्धांत और कार्य-विधि का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर-डायनेमो ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। इसकी क्रिया विद्युत-चुंबकीय-प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित है। इसमें तार की एक कुण्डली ABCD होती है, जो एक प्रबल नाल-चुंबक के ध्रुवों के बीच क्षैतिज अक्ष पर चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णन करती है। चित्र में, घूर्णन की दिशा दक्षिणावर्ती दिखलायी गयी है। गतिशील चालक के प्रेरित धारा चालक की गति की दिशा एवं चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के बीच के कोण की ज्या (sine) के समानुपाती होती है। घूर्णन के क्रम में कुण्डली जब चुम्बकीय क्षेत्र के लंबवत् रहती है, जिस कारण इसमें प्रेरित धारा शून्य होती है। किन्तु घूर्णन के क्रम में कुण्डली जब चुंबकीय क्षेत्र के समान्तर हो जाती है, तब इसकी AB भुजा की गति की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् होती है, जिस कारण इसमें महत्तम धारा प्रेरित होती है। एक पूर्ण घूर्णन के क्रम में कुण्डली दो बार चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् और दो बार समान्तर होती है, जिससे एक पूर्ण घूर्णन में AB भुजा में प्रेरित धारा दो बार शून्य होती है और दो बार महत्तम होती है।