(1) संस्कृत के महत्त्व का उल्लेख करते हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र संस्कृत में लिखें।
उत्तर-इदानीं एव तव पत्रं प्राप्तम् । तुभ्यं संस्कृतं न रोचते इति ज्ञात्वा क्षुभितः अस्मि । कथं इदृशी दयनीया स्थितिः । संस्कृत भाषा सर्वार्सा भाषाणां जननी वर्तते । एषा भाषा सर्वाधिका वैज्ञानिकी/चत्वारो वेदाः सर्वा उपनिषदाः अष्टादशपुराणानि रामायणं महाभारतं इत्यादयः सर्वानि धार्मिक पुस्तकानि संस्कृते एव सन्ति । यथा लवणं बिना भोजनं शून्यं तथैव संस्कृतभाषां बिना संस्कृतिः शून्याः । एषा भाषा राष्ट्रीय एकतायाः मूलम् जीवनस्य उत्प्रेरकं राष्ट्रभाषायाः चासीत निधानम् अस्ति । इदानीं अहम् इच्छामि यत् संस्कृताध्ययने एव रूचिः जागरिष्यति । सर्वेभ्यः अग्रजेभ्यः मम प्रणामाः अनुजेभ्यः च आशीर्वादाः ।
(ग) जीवन में स्वच्छता की आवश्यकता की चर्चा करते हुए अपने सहपाठी को एक पत्र संस्कृत में लिखें।
उत्तर- प्रिय मित्र,
हाजीपुरतः
सप्रेम नमोनमः
तिथि: 18.02.2022
भवतः पत्रात् मया ज्ञातं त्वं इदानीम् अस्वस्थः असि । जीवने स्वच्छता सर्वथा आवश्यकम् वर्तते । स्वच्छता एव स्वास्थस्य मूलम् । स्वच्छतया मनः प्रसन्नः भवति । अध्ययने रूचिः भवति । अस्वच्छतया अनेकानि रोगाः भवन्ति । माता-पितरौ च चरणेषु प्रणामाः । अनुजस्य कृते सुभाशीष ।
तव मित्रम्
सुमितः
(घ) जीवन में जल के महत्त्व का वर्णन करते हुए अपनी छोटी बहन को एक पत्र संस्कृत में लिखें।
उत्तर- प्रिय अनुजाः, प्रियंका
• तव पत्रम् प्राप्तम् । शुभ समाचारं अस्ति । जीवने जलस्य अति महत्त्वं अस्ति । जलं विना कोऽपि जीव-जन्तु जीवनधारणं कर्तुम् न समर्थः । जले अनपेक्षितानि-हानिकारकाणि विषाक्तानि रासायनिकवस्तूनि अम्लानि तैलादीनि
. अधोलिखित में से किसी एक विषय पर साया अनुद संस्कृत में लिखें:- 7
उत्तर-
(1) अस्माकं देश:
(ii) डॉ० राजेन्द्रः प्रसादः
(iii) पर्यावरणम्
(iv) पाटलिपुत्रम्
(v) कोरोना महामारी
(1) अस्माकं देशः
अस्माकं देशः भारतवर्षः अस्ति। अयं हि हिमालयात्पर्यन्तम् पुरीतः द्वारकापर्यन्तं प्रसूतः अस्ति । अत्र गंगा-यमुना-गोदावरीাবে नद्यः अमृतोपमं तोयं वहन्ति । काशी-प्रयाग-मथुरा-प्रभृतयः तीर्थनगर्य सन्ति । कलकत्ता-मुम्बई-मद्रास-कानपुर-दुर्गापुर-रारा-प्रभृतय: उद्योगप्रधानाः नगर्यः अपि सन्ति । अत्र च रामकृष्णगौतमाः जाताः, गाँची- नेहरु-पटेलप्रमुखाः महापुरुषाः अत्रैव उत्पन्नाः। अयं देश: ग्रामप्रधान कृषिप्रधानश्च कथ्यते । अस्य राष्ट्रभाषा हिन्दी अस्ति या संस्कृतभाषायाः आत्मजा अपि कथ्यते ।
(ii) डॉ० राजेन्द्रः प्रसादः
डॉ० राजेन्द्रः प्रसादः भारतस्य प्रथम राष्ट्रपतिः आसीत्। तस्य जन्म बिहारराज्ये सारणमण्डलान्तरे जीरादेई ग्रामे 1884 तमे वर्षे अभवत्। सः अति मणांकुशाग्रबुद्धिः आसीत् । सः सर्वेषां परीक्षायां प्रथमः अभवात् । अस्य जनकस्य नाम महादेव सहायः आसीत् । प्राथमिकी शिक्षा ग्रामे एवं प्राप्तवान्। प्रदा भारतः स्वतंत्रः अभवत् तदा सः भारतस्य प्रथम राष्ट्रपति निर्वाचितः अभवत् । डॉ० प्रसादः स्वजीवन देशसेवायां समर्पितवान् । सः सदाचारी मृदुभाषी चासीत् ।
(iii) पर्यावरणम्
अद्यत्वे पर्यावरणस्य गभीरा समस्या वर्तते । अस्य प्रमुख कारणं ते नगराणाम् वर्धमाना संख्या । नगरेषु यानानाम् धूमः, उच्चः कोलाहलः, प्लास्टिक वस्तूनाम् अत्र-तत्र प्रक्षेपणम्, शुष्कवस्तूनाम् दहनम् एतानि सर्वाणि वातावरण दूषितं कुर्वन्ति । धूम्र-समस्या समाधानाय सीएनजी गैसस्य प्रयोगः करणीयः प्लास्टिक वैगानाम् प्रयोगे प्रतिबन्धः स्यात् । ध्वनि प्रदूषणस्य समस्या समाधान अपि सर्वकारेण प्रयत्नः करणीयः । स्वास्थ्यस्य रक्षायै शुद्धम् पर्यावरणम परमावश्यकम् ।
(iv) पाटलिपुत्रम्
बिहारराज्यस्य राजधानीनगरं पाटलिपुत्रं सर्वेषु कालेषु महत्त्वम धारयत् । अस्येतिहासः सार्धसहस्रद्वयवर्षपरिमितः ‘वर्तते । अत्र धार्मिकक्षेत्रं राजनीतिक्षेत्रम् उद्योगक्षेत्रं च विशेषेण ध्यानाकर्षकम् । वैदेशिकाः यात्रिणः मेगास्थनीज फाह्यान-ह्वेनसांग-इत्सिगप्रभृतयः पाटलिपुत्रस्य वर्णनं स्व-स्व संस्मरणग्रन्थषु चक्रुः । अस्योतरस्यां दिशि गङ्गा नदी प्रवहति । तस्या उपरि गाँधीसेतुर्नाम एशियामहादेशस्य दीर्घतमः सेतुः किञ्च रेलयानसेतुरपि निर्मीयमानो वर्तते। नगरेऽस्मिन् उत्कृष्टः संग्रहालयः उच्चन्यायालयः सचिवालयः, गोलगृहम्, तारामण्डलम्, जैविकोद्यानम्, मौर्यकालिकः अवशेषः, महावीरमन्दिरम् इत्येते दर्शनीय सन्ति ।
(i) किसे आत्म-दर्शन होता है ?
उत्तर
दें
:-
8×2-16
उत्तर- आत्मा सूक्ष्म से सूक्ष्म और विशाल से विशाल है। इस रहस्य को
समझने वाले व्यक्ति को ही आत्म-दर्शन होता है। (ii) पाटलिपुत्र शब्द किस आधार पर प्रचलित हुआ ?
उत्तर- भगवान् बुद्ध के समय गंगानदी के तट पर पाटलिग्राम अवस्थित था। कालान्तर में यही गाँव’ पाटलिपुत्र के नाम से प्रचलित हुआ । पाटलिपुत्र
यह शब्द भी पाटलफुलों के पंखुरियों से निर्मित गड़िया के कारण प्रचलित हुआ । (iii) मध्यकाल में पाटलिपुत्र 1000 वर्ष पुराना था, यह कैसे पता
चला ?
उत्तर- मध्यकाल में पाटलिपुत्र 1000 वर्ष पुराना था इसका संकेत अनेक
साहित्यिक ग्रंथ मुद्राराक्षस आदि में प्राप्त होता निर्गतिया एवं अनाथों में आलसी को प्रथम क्यों माना गया है ?
उत्तर-
सभी निर्गतियों एवं अनाथों में आलसी को प्रथम माना गया है से पीडित होकर क्योंकि वह आग पीडिक भी कुछ नहीं कर सकता है (v) अलसशाला का खर्च क्यों बढ़ गया 1
उत्तर- आलसियों के सुख देखकर धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य दिखाकर भोज्य पदार्थ ग्रहण करने के लिए अलसशाला में एकत्र हो गए । फलस्वरूप अलसशाला का खर्च बढ़ गया।
(vi) बृहदारण्यकोपनिषद् में क्या वर्णित है ?
उत्तर- बृहदारण्यक उपनिषद् में याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी, दार्शनिक
रूचि की थी, ऐसा वर्णन किया गया है, जिसको याज्ञवल्क्य आत्म तत्व को
शिक्षा देते थे। (vii) लौकिक संस्कृत सहित्यं के प्रमुख संस्कृत लेखिकाओं का उल्लेख करें ।
उत्तर- लौकिक संस्कृत साहित्य के प्रमुख संस्कृत लेखिकाओं में क्षमाराव नामक विदुषी अत्यंत प्रसिद्ध हैं। क्षमाराव के अतिरिक्त पुष्पादीक्षित, वनमाला
भवालकर, मिथिलेश कुमारी आदि प्रमुख हैं । (viii) भारत भूमि का गुणगान करते हुए देवगण क्या कहते हैं ?
उत्तर- देवता लोग भारत देश का गुणगान करते हैं। वे कहते हैं कि भारतीय भूमि मोक्ष और स्वर्ग प्रदान करने का साधन है। मनुष्य भारत भूमि
पर जन्म लेकर भगृवानु हरि की सेवा के योग्य बन जाते हैं । (ix) जन्मपूर्व संस्कारों का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर- जन्म से पहले तीन संस्कार हैं-गर्भाधान, पुंसवन और समीन्तोनयन । इसमें गर्भरक्षा, गर्भस्थ शिशु में संस्कार की स्थापना तथा गर्भवती की प्रसन्नता
के प्रयोजन की कल्पना करना ही जन्मपूर्व संस्कारों का मुख्य उद्देश्य है। (x) शिक्षा की समाप्ति पर गुरु शिष्य को क्या उपदेश देते थे ?
उत्तर- शिक्षा की समाप्ति पर गुरु जीवन के धर्मों कर्त्तव्यों का उपदेश देते थे ।
जैसे-सत्य बोलो, धर्म का झाचरण करो; स्वाध्याय से जी मतु चुराओ आदि । (xi) सम्पन्नता चाहने वाले मनुष्य को किन दोषों की परित्याग करना चाहिए?
उत्तर- सम्पन्नता चाहने वाले मनुष्य को नींद, तन्द्रा, डर, क्रोध, आलस्या
और दीर्घसूत्रता इस छह दुर्गुणों को त्याग देना चाहिए। (xii) ‘भीखनटोला’ गाँव देखने आये शिक्षक ने कैसे बालक को देखा
उत्तर- भीखनटोला ग्राम आए शिक्षक ने दलित बालक को देखा औ उसके अलौकिक सुन्दर स्वभाव के वशीभूत हो गए ।
(ञ) स्वामीदयानन्द ने समाज की किन कुरीतियों को दूर करने
का प्रयास किया ?
उत्तर- स्वामी दयानंद एक महान समाजसुधारक संत थे । मध्यकाल में भारत में छुआछूत, अशिक्षा, जातिभेद, धर्म में आडम्बर आदि अनेक कुप्रथाएँ फैली हुई थीं । विधवाओं को काफी कष्ट दिया जाता था। स्वामी दयानंद ने इन सभी कुरीतियों को दूर करने के लिए आम लोगों के बीच जाकर इन कुरीतियों के खिलाफ जागरण पैदा किया। उन्होंने अपने सिद्धान्तों का संकलन ‘सत्यार्थप्रकाश’ नामक ग्रंथ में किया। शिक्षा पद्धति के दोषों को दूर करने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा । इन सभी कार्यों को करने के लिए उन्होंने ‘आर्यसमाज’ नामक संस्था की स्थापना की ।