Q.1. प्रतिरक्षा (Immunity) को परिभाषित करें। Or, प्रतिरोधक क्षमताओं के बारे में बताइए। Or, ‘प्राकृतिक’ व ‘कृत्रिम अथवा उपार्जित’ रोध क्षमता के बारे में लिखें।
(2017)
(2010, 2014, 2015, 2016, 2020)
Ans. कुछ व्यक्ति रोगियों की सेवा करते हुए भी रोगग्रस्त नहीं होते है या जिन्हें कोई संक्रामक रोग नहीं होता है या एकबार किसी व्यक्ति को चेचक या टायफायड हो जाने पर फिर से ये रोग नहीं होते हैं। व्यक्ति-विशेष की रोग से बचने की ऐसी क्षमता को निरापदता (Immunity) कहते हैं। ऐसे आदमियों में प्राकृतिक रूप से बचने की क्षमता आ जाती है जिसके द्वारा वे संक्रामक रोग-विशेष से बचते रहते हैं।
शरीर से रोगजनक जीवाणुओं के प्रवेश करते ही कुछ ऐसे प्रतिजीव विष (Anti-toxin) उत्पन्न होने लगते है जो या तो जीवाणु को नष्ट कर देते हैं या उनके विष को निष्क्रिय बना डालते हैं। यदि जीवाणुओं की मात्रा कम रहती है और प्रतिजीव-विष अधिक रहता है तो व्यक्तियों को रोग नहीं होता है। और इसके पश्चात् जीवाणुओं की मात्रा ज्यादा रहती है और प्रतिजीव विष कम रहता है तो व्यक्तियों को रोग तुरन्त पकड़ लेता है। निरापदकता के तीन प्रकार होते हैं- (i) प्राकृतिक निरापदकता (Natural Immunity)
(ii) अर्जित निरापदकता (Acquired Immunity)
(iii) कृत्रिम निरापदकता (Artificial Immunity)।
• प्राकृतिक रोधक्षमता प्राकृतिक रोधक्षमता शरीर में प्राकृतिक रूप से पाए जानेवाले रोग विरोधी तत्वों के कारण होती है, जैसे शरीर में श्वेत रक्त कण, माता के दूध में उपस्थित कोलोस्ट्रम।
• कृत्रिम अथवा उपार्जित रोध क्षमता इस प्रकार के रोधक्षमता में क्षीण या मृतक रोगाणुओं को शरीर में प्रवेश कराया जाता है तथा शरीर को अपने प्रतिजन स्वयं ही उत्पन्न करने की क्षमता दिलाई जाती है। इसमें रोग का होना आवश्यक नहीं है। उदाहरण-टीकाकरण द्वारा, दवाई मिलाकर।
2.2. हार्मोन्स पर टिप्पणी लिखें।
(2022)
Ans. हमारे शरीर के विभिन्न भागों में अनेक ग्रन्थियाँ पाई जाती है। ये ग्रन्थियाँ दो प्रकार की होती हैं-नलीदार ग्रन्थियाँ तथा नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ अथवा अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ (endocrine glands)। अन्तस्त्रावी ग्रन्थियों में बनने वाले स्राव को हॉर्मोन्स (hormone) कहते है। नली न होने के कारण ये रस शिराओं के रुधिर में मिल जाते हैं तथा रुधिर परिवहन के द्वारा शरीर के सभी भागों में पहुँच जाते है। हॉर्मोन्स अत्यन्त महत्व के पदार्थ है, क्योंकि थोड़ी मात्रा में होने पर भी ये बहुत प्रभावशाली होते हैं तथा किसी विशिष्ट अंग पर रासायनिक निषन्वण रखते हैं। विभिन्न अंगों की क्रियाओं के बीच रासायनिक समन्वय रखने के कारण हॉर्मोन्स का शरीर के स्वास्थ्य, वृद्धि एवं सुचारु रूप से कार्य करने में विशेष योगदान होता है।
पीयूष शब्धि पर टिप्पणी लिखें।
2.3. (2019) Ans. पीयूष ग्रन्थि (Pituitary gland): यह ग्रन्ति मध्य मस्तिष्क के अधर तल पर इन्फण्डिबुलस से लगी रहती है। इसका भार 0.6 ग्राम, लम्बाई 1 सेमी० तथा चौड़ाई 1.5 सेमी० होती है। अनेक महत्वपूर्ण हॉर्मोन्स का स्रावण करने के कारण इस ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि
4) हकलाने या दोषयुक्त वाणी वाले बालक, नाक धीरे-धीरे बोलना, कर्कश बोलना आदि दोषकाणी के चिहै। दोष कारण शारीरिक दोष भी हो सकता है परन्तु कुणी के पूर्व गा अपूर्णरूप से मनोवैवानिक होते है विकसित हो जाते हैं।
(ख) मानसिक न्यूनता से ग्रस्त बच्चे (Children with mental retardation): मान्ल मानसिक न्यूनता से प्रमित बच्चों की श्रेणी में हम उनको मिति बुद्धिलब्धि (1.Q-Intelligent Quotient) 70 कम
मानसिक रूप से मंदित बच्चों को तीन मुख्य वर्गों में बाँटकर उनकी विशेषताओं का अध्ययन करते हैं- (1) मध्यम मानसिक न्यूनता (Mild retardiation), (ii) साधारण मानसिक न्यूनता (Moderate retardation), (ii) गहन एवं मानसिक न्यूनता (Profound and severe retardation).
(ग) सामाजिक रूप से असमर्थ बच्चे (Socially disadvantaged children): सामाजिक रूप से असमर्थ बच्चों से अभिप्राय उन बच्चों से है जो किन्हीं कारणों से अपने परिवार से अलग हो जाते है या फिर किसी ऐसी जाति से होते हैं जी समाज में पिछड़ी हुई होती है। ये होता। बच्चे अच्छे पालन पोषण, शिक्षा व अन्य अभावों के कारण कई बार समाज विरोधी व्यावहार करने लगते हैं और अपराधी बन जाते हैं।
सामाजिक रूप से असमर्थ बच्चों के प्रति समाज व राज्य का उनरदायित्व सबसे अधिक होता है अन्यथा यह बच्चे गलत हाथों में पड़ कर समाज विरोधी हो जाते हैं।
Q.7. बालकों के अस्थायी एवं स्थायी दाँत (Teeth) पर टिप्पणी लिखें। (2015, 16, 17, 19, 21) Ans. जबड़े में दाँतों का निर्माण गर्भावस्था में तीसरे मास में प्रारम्भ हो जाता है।
बच्चे के दाँत दो प्रकार के होते हैं-
(1) अस्थायी दाँत (Temporary baby teeth): जन्म के पश्चात् पहले अस्थायी दाँत निकलते है जिनकी संख्या 20 होती है। प्रायः छः माह की आयु में अस्थायी दाँत निकलने आरम्भ होते हैं। पहला अस्थायी दाँत प्रायः आगे का दाँत नीचे के जबड़े में निकलता है और लगभग तीन वर्ष की आयु तक सभी अस्थायी दाँत निकल आते हैं। दाँत निकलने में कई व्यक्तिगत भिन्नताएँ पाई जाती है जिसमें किसी बच्चे के दाँत जल्दी निकल आते हैं तो किसी बच्चे के दाँत देर से निकलते हैं।
(2) स्वाची दौत (Parmanent teeth): अस्थायी दाँती के गिरने के साथ उनकी जगह स्थायी दाँत लेना आरम्भ कर देते हैं। स्थायी दाँतों की संख्या 32 होती है।
दांत निकलने की आयु की अपेक्षा उनके निकलने का अनुक्रम अधिक अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इनके अनुक्रम में अनियमितता के कारण जबड़ों की स्थिति अस्वाभाविक हो जाती है और दाँत पंक्ति से बाहर भीतर हो जाते हैं।
Q.8. व्यक्तिगत स्वच्छता से आप क्या समझते हैं?
(2013, 2015, 2016, 2018, 2020)
(What do you mean by Personal Hygiene 7) Ans. स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मस्तिष्क का वास होता है। स्वस्थ्य शरीर के लिए स्वच्छता आवश्यक है। शरीर की स्वच्छता अबलिखित ढंग से रखी जाती है
(1) शरीर के अंगी की सफाई स्वच्छ पानी से करनी चाहिए। शरीर का बैल अयो साबुन एवं साफ तौलिये से करना चाहिए। (ii) स्नान करने के बाद साफ कपड़ा पहनना गाहिए। (m) भोजन के पहले और शौच के बाद हाणों की सफाई के साथ-साथ नाखून की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। (iv) बालों को माफ कर कधी अवश्य करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी कंपी अलग रखना चाहिए। (v) शरीर के स्वच्छ रखने के लिये साफ-सुथरे कपड़े पहनना चाहिए। कपड़े की सफाई साफ पानी एवं साबुन से करना चाहिए।
0.13 अमेकित बाल विकास योजना (1.C.D.S.) का उद्देश्य क्या है? 0. LC.D.S. के अन्तर्गत प्रदान की जानेवाली सेवाओं का वर्णन करें।
(2015)
Ans. आई० सी० डी० एस० के अन्तर्गत छः वर्ष के बच्चों का सर्वांगीण विकास, बच्चों के स्वास्थ्य के स्तर को संवारना, पोषण स्तर में सुधार करना, टीकाकरण अवश्य करवाना, शारीरिक, मानसिक व सामाजिक विकास करना तथा प्राइमरी शिक्षा की व्यवस्था करना। दोपहर में ‘Mid day meal’ देने का प्रावधान है। गर्भवती महिलाओं व धात्री महिलाओं का डाक्टरी प्रशिक्षण तथा उन्हें आयरन और फॉलिक एसिड की गोली का वितरण किया जाता है। ग्रामीण बच्चों को Mid day अक्षर ज्ञान, रंगों, आकारों का ज्ञान व समूहगान इत्यादि सिखाती है।
‘समन्वित बाल विकास सेवा’ (ICDS) 2 अक्टूबर, 1975 में प्रारम्भ की गई। इसके अन्तर्गत निम्न समूहों को लाभ पहुँचाने का लक्ष्य है- 0-6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे। गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताएँ। 15-40 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाएँ। कुपोषण, मृत्यु, अस्वस्थता तथा विद्यालय छोड़ने की दर में कमी लाना।
Q.14. बच्चों की वैकल्पिक देखरेख सम्बन्धियों द्वारा किए जाने के लाभ बताएँ। (2013, 2015)
(2014)
Or, घर और बाहर बच्चों की वैकल्पिक देख-रेख।
(2016)
Or, बच्चों की वैकल्पिक देख-रेख की आवश्यकता क्या है?
Ans. बच्चों की सेवा या पालन-पोषण का दायित्व उनके जन्मदाता अर्थात् माता-पिता का होता है, लेकिन यदि किसी कारण वे अपना दायित्व निर्वाह करने में असमर्थ होते हैं तो उनकी अनुपस्थिति में दादा-दादी, नाना-नानी या अन्य रिश्तेदार इस कार्य को सम्पन्न करते है। वैकल्पिक देखरेख में बच्चे का लालन-पालन कभी-कभी अधिक लाड़-प्यार या अधिक कठोर अनुशासन में होता है। कभी-कभी ऐसे वातावरण में बच्चा अन्य बच्चों की अपेक्षा असामान्य व्यवहार करता है तथा उसका समायोजन अन्य बच्चों की अपेक्षा अधिक अच्छा नहीं रहता है।
बच्चों की वैकल्पिक देखरेख व्यवस्था :
(1) परिवार में भाई बहन (Siblings): बच्चे का बड़ा भाई अथवा बहन अपने माता अथवा पिता या फिर दोनों की अनुपस्थिति में उसकी देखभाल कर सकता है। बच्चे को वह दूध पिला