1. असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आन्दोलन था। कैसे ?
उत्तर- असहयोग आंदोलन महात्मा गाँधी के नेतृत्व में आरंभ किया गया प्रथम जन आंदोलन था। इस जन आंदोलन के मुख्यतः तीन कारण थे
(i) खिलाफत का मुद्दा,
(ii) पंजाब में सरकार की बर्बर कार्रवाइयों
के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना और अन्ततः (iii) स्वराज की प्राप्ति करना। इस आंदोलन में दो तरह के कार्यक्रम को अपनाया गया। प्रथमतः अंग्रेजी सरकार को कमजोर करने एवं नैतिक रूप से पराजित करने के लिए विध्वंसक कार्य जिसके अन्तर्गत उपाधियों तथा अवैतनिक पदों का त्याग करना, सरकारी तथा गैर सरकारी समारोहों का बहिष्कार, स्कूल-कॉलेजों का बहिष्कार आदि।द्वितीयतः रचनात्मक कार्यों के अंतर्गत राष्ट्रीय विद्यालय एवं कॉलेज की स्थापना, स्वदेशी को अपनाना, चरखा खादी को लोकप्रिय बनाना आदि। इन आन्दोलन में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में व्यापक स्तर पर लोगों की सहभागिता रही, अतः हम कह सकते हैं कि असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आन्दोलन था।
2. भारतीयों द्वारा वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट का विरोध क्यों किया गया ?
उत्तर-लार्ड लिटन के शासन काल में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, 1878 पारित किया गया। इस एक्ट का उद्देश्य देशी भाषा के समाचार पत्रों पर कठोर अंकुश लगाना था। इस एक्ट के अनुसार, भारतीय समाचार पत्र ऐसा कोई समाचार प्रकाशित नहीं कर सकते थे जो अँग्रेजी सरकार के प्रति दुर्भावना प्रकट करता हो। सरकार ऐसा समाचार छापने वाले अखबारों के सम्पादकों से बॉण्ड लिखवा सकती थी तथा उनसे जमानत भी ले सकती थी। सरकार को यह अधिकार भी मिला कि आवश्यक होने पर वह सम्पादक की जमानत खारिज कर दे तथा प्रेस को जब्त भी कर ले। परिणामस्वरूप भारतीय राष्ट्रवादियों ने इस एक्ट का कड़ा विरोध किया था।
3. असहयोग आंदोलन को गाँधीजी ने क्यों स्थगित किया ?
उत्तर- असहयोग आंदोलन के दौरान 5 फरवरी, 1922 को पुलिस ने निःशस्त्र प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी। इससे प्रदर्शनकारी उग्र हो उठे। पुलिस ने भागकर थाना में शरण ली। भीड़ ने थाना में आग लगा दी।
4. औद्योगीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-औद्योगीकरण भारी संख्या में नये-नये मशीनों के प्रयोग को – कहते हैं। वस्तुओं के उत्पादन में मानव श्रम की अपेक्षा मशीनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसमें उत्पादन वृहत् पैमाने पर होता है जिसकी खपत के लिए बड़े बाजार की आवश्यकता होती है।
इसके प्रेरक तत्व के रूप में मशीनों के अलावा पूँजी निवेश, विस्तृत बाजार, परिवहन तंत्र एवं श्रम का भी महत्वपूर्ण स्थान है।
5. औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया ? अथवा, उद्योग के विकास ने किस प्रकार मजदूरों को प्रभावित किया ? उन पर पड़ने वाले प्रभावों पर आपकी क्या राय है?
उत्तर-औद्योगीकरण के फलस्वरूप बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए जिसके समक्ष छोटे उद्योग टिक नहीं सके। सामाजिक भेद-भाव की शुरूआत हो गई। औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को इस तरह नष्ट-भ्रष्ट कर दिया कि उनके पास दैनिक उपयोग की वस्तुओं को खरीदने के लिए धन नहीं रहा। अब मजदूर और बेरोजगार कारीगरों ने झुंड बनाकर घूमना शुरू किया और मशीनों को तोड़ने में लग गये। अपनी स्थिति में सुधार की अपेक्षा उन्होंने आन्दोलनों को शुरू किया। इससे वर्ग संघर्ष की शुरूआत हुई।
6. शहरों ने किन नई समस्याओं को जन्म दिया ?
उत्तर-शहरों ने कई नई-नई समस्याओं को जन्म दिया। श्रमिकों की संख्या काफी अधिक थी। अतः उनके लिए आवास की समस्या उत्पन्न
हुई। कारखानों के मालिकों द्वारा जो आवास बनाये गये उनमें पर्याप्त रोशनी, पानी, स्वच्छ हवा भी उपलब्ध नहीं थी। फलत: स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हुई।
शहरों की आबादी बढ़ने के साथ-साथ बेरोजगारी की समस्या भी कोबढ़ी। बेरोजगारी की समस्या से कई भयंकर समस्याओं का जन्म हुआ। बेरोजगारी के फलस्वरूप नकारात्मक प्रवृत्ति उत्पन्न हुई। लोगों का नैतिक पतन हुआ, अपराध की प्रवृत्ति उत्पन्न हुई। इस प्रकार, शहरों ने अनेक समस्याओं को जन्म दिया।
7. आर्थिक तथा प्रशासनिक संदर्भ में ग्रामीण तथा नगरीय बनावट के दो प्रमुख आधार क्या हैं?
उत्तर-आर्थिक तथा प्रशासनिक संदर्भ में ग्रामीण तथी नगरीय व्यवस्था के दो प्रमुख आधार हैं- (i) जनसंख्या का घनत्व तथा (ii) कृषि आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात। शहरों में जा का घनत्व अधिक
होता है जबकि कृषि आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात गाँवों में अधिक होता है।
8. किन तीन प्रक्रियाओं के द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्णायक रूप से हुई ?
उत्तर-शहरीकरण की प्रक्रिया बहुत पहले से रही है किन्तु आधुनिक शहरों के विकास की प्रक्रिया लगभग दो सौ साल पुरानी है। आधुनिक – शहरों की स्थापना में जिन तीन प्रक्रियाओं के निर्णायक भूमिका रही है. वे हैं-(1) औद्योगिक पूँजीवादी का उदय, (ii) औपनिवेशिक शासन की स्थापना * तथा (iii) लोकतांत्रिक आदंशों का विकास ।
9. शहर किस प्रकार की क्रियाओं का केन्द्र होता है?
उत्तर-शहरों में मुख्यतः व्यापार तथा उत्पादन होता है। शहरों के बसने
एवं विकसित होते ही प्रशासन नागरिक सुविधाओं का प्रबंधन, शिक्षा आदि – कार्य-कलाप भी स्वतः रूप से करता है। इस प्रकार शहर, उत्पादन, व्यापार, प्रशासन, राजनीति शिक्षा आदि क्रियाओं का केन्द्र होता है।
10. गुटेनबर्ग ने मुद्रणयंत्र का विकास कैसे किया ?
उत्तर-गुटेनबर्ग ने अपने ज्ञान और अनुभव से टुकड़ों में बिखरी मुद्रण कला को एकत्रित और संघटित कर टाइपों के लिए पंच, मेट्रिक्स, मोडल आदि बनाने पर योजनाबद्ध ढंग से काम शुरू किया। मुद्रा बनाने हेतु उसने सौसा, टिन और विस्मिथ का उचित अनुपात में मिश्रित कर एक मिश्रधातु हूँर निकाला।गुटेनबर्ग ने आवश्यकतानुसार मुद्रण स्याही भी बनाई। गुटेनबर्ग ने हैण्ड प्रेस नामक मुद्रण यंत्रण बनाया जिसमें लकड़ी के चौखट में दो समतल भाग प्लेट तथा बेड एक के नीचे दूसरा रख दिया जाता था। कम्पोज किया हुआ टाइप मैटर बेड पर रखकर उस पर स्याही लगा दी जाती थी। तब कागज रखकर प्लेट्स को दबाकर मुद्रण किया जाता था। इस प्रकार गुटेनबर्ग ने एक सुस्पष्ट, सस्ता तथा शीघ्र कार्य करने वाला मुद्रण यंत्रण विकसित किया।
11. पाण्डुलिपि क्या है? इसकी क्या उपयोगिता है ?
उत्तर-हस्तलिखित पुस्तक को पाण्डुलिपि कहते हैं। छापाखाना केविकास से पहले हस्तलिखित पांडुलिपियों को तैयार करने की पुरानी तथा समृद्ध परम्परा थी। पाण्डुलिपि काफी नाजुक, पुरानी, महँगी तथा दुर्लभ होती है। ये आम जनता के पहुँच के बाहर थीं। छापाखाना के विकास के पहले पाण्डुलिपि ही पुस्तक का कार्य करती थी। पाण्डुलिपि हमारे पूर्वजों के दुर्लभ ज्ञान का अक्षुण्ण भंडार थीं। इनका अध्ययन करके आसानी से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
12. लार्ड लिटन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को गतिमान बनाया। कैसे?”
उत्तर-भारतीय प्रेस अंग्रेजी राज की शोषणकारी या दमनकारी नीतियों का पर्दाफाश कर जन-जागरण फैलाने का कार्य कर रही थीं। लिटन ने इस एक्ट के द्वारा समाचार पत्रों का मुँह बंद रखने का प्रयास किया। किन्तु इसके प्रतिक्रियास्वरूप जनमानस में आक्रोश भर गया और उनमें राष्ट्रीयता की भावना और उग्र हुई जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय आन्दोलन की गति और तीव्र हुई।